आँखें न मूंदो मेरी अभी।

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क्यों है ये डर कि तू सोचे, न जी सकूंगी मैं और यहाँ, जो न महफूज़ मैं तेरे आंचल में, हूँ महफ़ूज़ मैं और कहाँ

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ANOOP YADAV

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