“अर्थनाशं मनस्तापं … मतिमान्न न प्रकाशयेत्” आदि चाणक्यनीति वचन

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विष्णुशर्मा (अन्य नाम चाणक्य, कौटिल्य) द्वारा विरचित पुस्तिका चाण्क्यनीतिदर्पण के सातवें अध्या

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Yogendra Joshi

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