चारों तरफ मौत का दर्दनाक मंज़र है नींद पर काली स्याह रातों का खंजर है दिन की शुरुआत मायूसी से दिन का अंत उदासी से आज का तो गया कल क्या लाएगा मौतों का अनवरत सिलसिला जारी है जैसे किसी युग अंत की तैयार…
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