इस संसार में सबका अस्तित्व जन्म और मरण रूपी दो किनारों के बीच फंसा हुआ है। इसमें सारा अस्तित्व सिमट कर रह गया है। जीवन का अर्थ और अनर्थ जो भी सब सीमित है। कुछ चीजों की मर्यादाएं पहले से तय कर दी गई है जिंदगी इसमें ही उलझी उलझी रहती है।
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