इंसान गलती और गुनाह का पुतला है। अपने ज़िन्दगी के हर मोड़ पर वह गलतियां करता है। वास्तव में ईश्वर ने इंसान को गलती की प्रवृत्ति और फितरत पर पैदा किया है।
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