जब हम दुनिया में आर्थिक एवं सामाजिक तौर पर अपने से बड़े, संपन्न और खुशहाल लोगों के जीवन पर निगाह डालते हैं, तो नहीं चाहते हुए भी हम अपने जीवन को उनके समान बनाने की ख्वाहिश करते हैं।
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