ख़्याल ए ग़ालिब ही बचा लेता है शायर ओ सुखन को , गम ए उल्फत में ख़ुदकुशी के वास्ते हमने भी कई बार उठा

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ख़्याल ए ग़ालिब ही बचा लेता है शायर ओ सुखन को , गम ए उल्फत में ख़ुदकुशी के वास्ते हमने भी कई बार उठा

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