रुपया, अर्थव्यवस्था, महंगाई और राजनीति - व्यंग्य

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शाम को बाहर घूमने निकला तो देखा कि सामने से दुबला पतला कमज़ोर सा कोई शख्स लड़खड़ाता हुआ चला आ रहा है।

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Shahab Khan

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