सवा सेर गेहूँ के लिए ज़िन्दगी भर पैर में गुलामी की बेडियां, सवा सेर गेहूँ – “मुंशी प्रेमचंद” की कहानी, Sawa Ser Gehu किसानों के संघर्ष, मेहनत, पीड़ा और शोषक समाज की कहानी। चढ़ते ब्याज के साथ सवा सेर से साढ़े पांच मन हो गया गेहूं, सामाजिक शोषण ने कुचली संवेदनाएं