मत्तगयन्द सवैया एवं आल्हा छंद

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मत्तगयन्द सवैया आदि अनादि अनन्त त्रिलोचन ओम नमः शिव शंकर बोलें सर्प गले तन भस्म मले शशि शीश धरे क

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अरुन शर्मा 'अनन्त'

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