कविता: हताश ज़िन्दगी के रेगिस्तान पर सपनों और जुनून की कुछ गीली बूंदें

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हताश ज़िन्दगी के रेगिस्तान पर सपनों और जुनून की कुछ गीली बूंदें गिरी होंगी कभी गए बरसों में मगर अ

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Jaideep Khanduja

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