मेरे होंटों का गीत बनो - कविता

1

तुम परिजात के फूलों सीदिल आँगन में बिखरो महकोतुम ग्रीष्म ऋतू की चिड़ियों सीधीमे धीमí...

Read this post on thekhichdiblog.com


Abu Turab Naqvi

blogs from New Delhi

Recommended for you