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Dear Friends
I am your little friend is trying to explore my poet skills.This time i have written a blog "Prabhu Ki Vani !! प्रभु की वाणी !!".This blog basically based on our Spritual Book - "Sri Bhagvad Gita".In this i have try to bind the meanings of every shlok in the form of poem.
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अध्याय 1 श्लोक 8
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः । अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥ दुर्योधन अपने उन महारथियों का कर रहा था विशेषतया उल्लेख जो सदैव विजयी रहे थे और आज कर रहे थे इसकी सेना की देखरेख मेरी सेना में गुरुदेव स्वयं आप औरहै भीष्म ,कर्ण ,कृपाचार्य जैसे जयी विकर्ण और सोमदत्त पुत्र भूरिश्रवा भी जो रहे है सदा ही युद्धभूमी में विजयी
This is just a try but i need your suggestion that how can i try better.
Thanks & Regards
Pankhuri