भडका रहे हैं आग लब-ए-नग़्मगर से हम , ख़ामोश क्यों रहेंगे ज़माने के डर से हम -- साहिर

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' मेरे सरकश तराने सून के दरिया ये समझती है कि शायद मेरे दिल को इश्क के नगमो से नफरत है ''

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Randhir Singh Suman

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