मानवता खतरे में पाकर, चिंतित रहते मानव गीत

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हम तो केवल हंसना चाहें सबको ही, अपनाना चाहें मुट्ठी भर जीवन पाए हैं हंसकर इसे बिताना चाहें खंड ख

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Satish Saxena

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