एक अजनबी जाने कैसा गीत सुनाकर चला गया -सतीश सक्सेना

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रोक न पायीं अनजाने को मंत्रमुग्ध सा आवाहन था ! सागर जैसी आकुलता ले लगता कैसा मनमोहन था ! हृदयपटल ले

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Satish Saxena

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