यह तो है कि मैं यहाँ तन्हा नहीं : ग़ज़ल

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यह तो है कि मैं यहाँ तन्हा नहीं तुझसे भी तो पर कोई रिश्ता नहीं तिश्नगी तो है मयस्सर आपकी जुस्तजू

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Shah Nawaz

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