लघु कथा- तुम्हें ज़रूरत नहीं किसी निशानी की

6

मानव (झिझकते हुए): सुनो, क्या मैं ये अंगूठी उतार दूँ? अपेक्षा: लेकिन ये तो हमारी सगाई की अंगूठी है, इ

Read this post on thiraktekhwab.blogspot.com


Supriya Sinha

blogs from Delhi