ग़ज़ल: प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ

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प्यार की है फिर ज़रूरत दरमियाँ  हर तरफ हैं नफरतों की आँधियाँ  नफरतों में बांटकर हमको यहाँ  ख़ुद व

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Shah Nawaz

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