दवा-विक्रेता की सदाशयता

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मुझे अपनी यात्राओं के दौरान अथवा उस काल के प्रवास-स्थान पर अक्सर सदाशयी जन मिल जाते हैं। ऐसे सदाशयी दवा-विक्रेता मुझे गिरिनगर बेंगलूरु में मिले जब में "सम्भाषण-सन्देशः" नामक पत्रिका का कार्यलय खोज रहा था। उन्होंने अपने स्कूटर से कार्यालय पर पहुंचा दिया। उसी घटना का कथा-रूपान्तरण प्रस्तुत है।

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Yogendra Joshi

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