मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम ने क्या खूब कहा है “सुबह होती है, शाम होती है… …उम्र युहीं तमाम होती है” हर दिन एक सा, फिर भी कितना अलग कुछ नया, कुछ पुराना कभी लेखों के साथ, कभी गीत…
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