इंसान बन के रह सकूं तो इत्मीनान हो ...

7

मैं सो सकूं मौला मुझे इतनी थकान हो आकाश को छूती हुई चाहे उड़ान हो सुख दुःख सफ़र में बांटना आसान हो सक

Read this post on swapnmere.blogspot.com


Digamber Naswa

blogs from Faridabad

Recommended for you