Qamar Waheed Naqvi would like you to review his/her blog.
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'राग देश' पर आपकी राय

"इस बार के चुनाव में कुछ तो ख़ास है. ऐसा कुछ, जो पहले के किसी चुनाव में कभी नहीं रहा. वरना दो-दो दंगों की खड़ताल अचानक क्यों बजायी जाने लगी होती. एक दंगे को बारह साल बीत गये, दूसरे को तीस साल! खड़ताल आज बज रही है! तेरा दंगा मेरे दंगे से ज़्यादा गंदा था!...." 'लोकमत समाचार' में हर शनिवार को प्रकाशित मेरे कालम 'राग देश' को मैंने एक ब्लाॅग के रूप में ढालने की कोशिश की है, ताकि इस स्तम्भ में अब तक छपी पिछली टिप्पणियाँ भी पाठक देख सकें. ब्लाॅग अभी बनने की प्रक्रिया में ही है.
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Pramod Joshi
Pramod Joshi
from Ghaziabad
10 years ago

बहुत अचछा लिख रहे हैं नकवी जी। मेरी शुभकामनाएं। -प्रमोद जोशी

Abhishek kumar
Abhishek kumar
from Varanasi
9 years ago

इंडिया टीवी में नौकरी छोड़ने की खबर काफी प्रचलित थी, उसी से पहली बार आपका नाम सुना। टीवी नहीं देखने की वजह से पहले से नहीं जानता था।

 

फिर फेसबुक पर राग देश नामक पेज के माध्यम से अप्रत्यक्ष मुलाकात और अब यहाँ आपका ब्लॉग।

 

'पेशावर की परतों के भीतर' आईना दिखाने का बेहतरीन प्रयास, उन सभी को जो अपनी मान्यताओं को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। सच कहने का और लिखने का अंदाज दिल को छूने वाला है। मैं बारहवीं का छात्र हूँ और थोड़ी कम समझ है मगर आपके लेख सोचने के लिए विवश करते हैं।

 

कुछ दिनों में पुराने सारे लेख एक-एक कर पढूँगा।

 

 

 

 

 

 

 

जनाब नक़वी साहब । कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण मैं आपके लेखों पर टिप्पणी नहीं कर पाता हूँ लेकिन मैं आपकी कलम का मुरीद हो गया हूँ और मानता हूँ कि आप जैसे सुलझे हुए लोगों की मुल्क और दुनिया की बहुत ज़रूरत है । बस यूँ ही निडर होकर सभी को आईना दिखाते रहिए । अल्लाह करे ज़ोर-ए-कलम और ज़ियादा ।

प्रिय जितेन्द्र जी,मैंने आपकी टिप्पणी अभी देखी. बहुत अच्छा लगा यह जान कर कि आपको मेरे लेख अच्छे लगे. आप जैसे मित्रों का स्नेह मेरे लिए अमूल्य धरोहर है, जिसे हमेशा सहेज कर रखूँगा और कोशिश करता रहूँगा कि आपकी कसौटियों पर खरा उतरूँ. कभी कुछ अच्छा न लगे, तब भी निस्संकोच लिखिएगा. आप मेरी पोस्ट पर टिप्पणी किन तकनीकी कारणों से नहीं कर पाते? अगर कारण बतायें तो अपने वेब डेवलपर से बात करूँगा. मेरी मेल आइडी है: qwnaqvi@raagdesh.com

जनाब, अपने ऑफिस के पीसी पर बैठकर जब भी मैं आपके किसी भी लेख पर टिप्पणी करना चाहता हूँ तो यही पाता हूँ कि 'ADD COMMENT' पर क्लिक ही काम नहीं करता । जितने भी ब्राउज़र हमें दिए गए हैं, सभी पर यही स्थिति रहती है । बाकी मैं आपको ईमेल ज़रूर करूंगा । आप जो कहते हैं, निष्पक्ष कहते हैं । दो टूक कहते हैं । मुल्क के मौजूदा सियासी और कौमी हालात को आप जितना समझते हैं, उतना समझने वाला हिन्दी में लिखने वाला तो कोई पत्रकार या टिप्पणीकार अब नहीं मिलता । आज जब हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री ने व्यक्ति-पूजा का माहौल बना दिया है और उनके मुरीदों की एक बहुत बड़ी तादाद सोशल मीडिया पर छा गई है जो उन्हें ख़ुदा से भी कई हाथ ऊंचा साबित करने पर तुली हुई है और ख़बरनवीसी करने वाले भी ज़्यादातर लोग उसी रौ में बह चुके हैं तो ऐसे में आप जैसे ग़ैर-तरफ़दार शख़्स की मौजूदगी और बेबाक बेलाग बातें बड़ी राहत देती हैं ।